करोना कॉल

करोना काल में ही समझ में आया कि परिवार क्या चीज होती है। करोना कुछ परिवार को एक साथ लाया तो कुछ परिवार को बिल्कुल ही एक दूसरे से अलग कर दिया और कहीं कहीं तो यह देखा गया कि करोना कल पूरे परिवार को ही खा गया। जहां पर करोना परिवार के किसी एक सदस्य को हुआ तो पूरा सदस्य उसको बचाने में लग गया तब ही समझ में आया कि पिता,भाई (छोटा हो या बड़ा) अपना सर्वस्व निछावर करने के लिए तैयार हो गए। तब उस व्यक्ति को एहसास हुआ कि खेत धन-संपत्ति सब यही रखे के रखे रह जाएंगे लेकिन पिता और भाई का प्यार हमेशा आपत्ति पड़ने पर साथ रहेगा। बाद के समय में चाहे जो भी हो लेकिन करोना काल में कुछ देर के लिए ही सही यह मानसिकता तो विकसित हुई वास्तविक बात तो यह है कि हमें हमेशा अपनों के साथ रहना चाहिए क्योंकि जब आप एक साथ रहते हैं तो आप पर किसी भी प्रकार के बिपतिया ,किसी प्रकार के लोगों के द्वारा आप पर आक्रमण नहीं हो सकता। मेरा आपसे निवेदन है कि हमेशा अपने प्रिय जन के साथ सही से रहें चाहे पैसा कमाने के लिए आप कहीं क्यों ना जाए लेकिन बंधुत्व प्रेम , माता-पिता के प्रति स्नेह अपने परिवार के प्रति अपार स्नेह बनाए रखें

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